National education day : जाने 11 नवंबर को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

मौलाना आजाद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश के विभाजन के मुखर विरोधी आजाद ने अल हिलाल नाम से पत्रिका शुरू किया जिसमें औपनिवेशिक शासन पर जमकर प्रहार किया गया। आजादी के बाद वह देश के पहले शिक्षा मंत्री बनें और उनके जन्म दिन को अब राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके ही कार्यकाल में खड़गपुर में देश की पहली आईआईटी की स्थापना हुई
आचार्य कृपलानी ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी का नेतृत्व स्वीकार किया था। आजादी के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर किसान मजदूर प्रजा पार्टी का गठन किया था जिसका बाद में सोशलिस्ट पार्टी में विलय होकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी बनी।
आचार्य कृपलानी ने उस समय इतिहास रचा था जब 1963 में पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। यह प्रस्ताव चीन के हाथों भारत की करारी हार के मद्देनजर लाया गया था। हमारे पहले प्रधान मंत्री और तत्कालीन रक्षामंत्री श्री वी.के.कृष्ण मेनन पर युद्ध की उचित तैयारी नहीं करने का दोषी ठहराया गया था। उन्होंने इमर्जेंसी का भी खुलकर विरोध किया था। वह गांधीजी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ से भी गहराई से जुड़े थे।
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