नई दिल्ली: असम के सिटीजन रजिस्टर का ड्राफ़्ट
आने के बाद सरकार और विपक्ष आमने-सामने है. असम में NRC के मुद्दे पर राज्यसभा में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि मनमोहन सिंह ने भले ही NRC की शुरुआत की थी लेकिन कांग्रेस में इस पर अमल की हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत थी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल किया है. राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच अमित शाह ने कहा कि राजीव गांधी ने 1985 में असम में समझौता किया था. जिसके तहत अवैध घुसपैठियों की पहचान करने की बात की गई थी. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया था लेकिन कांग्रेस कोर्ट के आदेश पर अमल कराने में नाकाम रही. अमित शाह ने सदन में कहा कि इस काम को पूरा कराने का साहस कांग्रेस में नहीं था. अमित शाह ने कहा कि इसे मेरी सरकार ने पूरा करने का साहस किया है. बीजेपी अध्यक्ष ने पूछा कि वह किसे बचाना चाहती है? क्या वह घुसपैठियों को बचा रही है? अमित शाह के इस बयान पर जमकर हंगामा हुआ. विपक्षी सांसद सभापति के नजदीक वेल में आ गए. हंगामे के कारण राज्यसभा को कल 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दिया गया है.
इससे पहले कांग्रेस के गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि नागरिकता साबित करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ 40 लाख लोगों पर नहीं, सरकार पर भी हो. सरकार साबित करे कि 40 लाख लोग नागरिक नहीं हैं. आजाद ने कहा कि सरकार किसी भी धर्म के लोगों को देश से न निकाले. दूसरे विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा. वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बयान दिया कि रोहिंग्या बड़ी संख्या में भारत में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि बीएसएफ और असम राइफल्स को तैनात किया गया है कि ताकि और घुसपैठ न हो. उन्होंने कहा कि अगर ज़रूरी हुआ तो राज्य को ये अधिकार भी है कि वो रोहिंग्या को डिपोर्ट कर सकते हैं. वहीं ममता बनर्जी
आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने वाली हैं. ममता का कहना है कि हर राज्य में बाहर से आए लोग रहते हैं. ये एक चुनावी राजनीति है.
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